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तेजल आहेर….ना खाने के लिए रोटी, ना कोचिंग के लिए पैसे, भूख से जंग लड़कर पुलिस ऑफिसर बनी बेटी

New Delhi: तू एक बार मेहनत करके तो देख, जमीन से ऊपर उड़कर आसमान में पंख फैला सकता है। ये लाइन महाराष्ट्र के नासिक जिले की रहने वाली तेजल आहेर पर बिल्कुल फिट बैठती है। जिसके पास ना ही दो वक्त की रोटी खाने के पैसे थे। ना कोचिंग के लिए पैसे थे। ना ही घर में कोई संसाधन था। इसके बावजूद तेजल ने वो मुकाम हासिल किया है, जहां पहुंचने की चाह हर किसी की होती है। उन्होंने पुलिस अफसर बनकर अपने माता-पिता का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है।

तेजल एक बहुत ही सामान्य परिवार से आती हैं। बचपन से ही पढ़ाई में होशियार तेजल के घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उनके पास इतने पैसे नहीं होते कि ठीक से पेट भर कर रोटी खा सकें, तो ट्यूशन फीस भरना तो दूर की बात थी। तेजल ने खुद के दम पर पढ़ाई करने की ठानी। महाराष्ट्र सरकार के द्वारा आयोजित महाराष्ट्र लोकसेवा आयोग की परीक्षा को पास किया। इसके बाद उन्हें पुलिस उप निरीक्षक का पद मिला।

15 महीने की ट्रेनिंग पूरी करके जब अपने घर पहुंची तो उनके माता-पिता समेत गांव के सभी लोग उन्हें वर्दी में देखकर काफी आश्चर्यचकित हुए, उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। कंधे में लगे स्टार को देखकर मां भावुक हो गई और पिता के आंखों से आंसू छलक आए और गर्व से सीना चौड़ा हो गया। परिवार समेत सारा गांव तेजल पर गर्व महसूस कर रहा था।

उन्होंने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया कि अगर आपका लक्ष्य निश्चित हो और आपका सारा ध्यान उस लक्ष्य को पाने के लिए हो तो कोई भी बाधा मुसीबत आपके और आपके लक्ष्य के बीच कभी नहीं आ सकती। वाकई जब भूख सताती है तो इंसान को कुछ नहीं सूझता ऐसे विकट परिस्थिति में तेजल आहेर ने अफसर बनने का सपना देखा और उसे पूरा करने के लिए सारी कठिनाईयों को भूल कर दिन रात मेहनत की और अपने सपनों को पूरा कर दिखाया। तेजल की कहानी उन तमाम लोगों के लिए एक सीख है जो विकट परिस्थिति का हवाला देकर मेहनत करने से कतराते हैं।

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