New Delhi: खेलोगे, कूदोगे तो होगे खराब और पढ़ोगे, लिखोगे तो बनोगे नवाब। मगर कोई पढ़ने-लिखने के बाद खेलों में आ जाए तो क्या कहा जाएगा? आज जिस खिलाड़ी की बात करेंगे वह तो सबसे एक कदम आगे रहा। उसने न केवल ग्रेजुएशन किया बल्कि देश की सबसे पुरानी इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज परीक्षा भी पास की। इसके बाद उसने भारतीय क्रिकेट टीम में जगह बनाई। हम बात कर रहे हैं अमय खुरासिया (Amay Khurasiya)। वे 90 के दशक में टीम इंडिया के लिए क्रिकेट खेले हैं।
अमय खुरासिया का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में हुआ। वे बाएं हाथ के बल्लेबाज हैं। उनके लिए कहा जाता था कि वे तेजी से रन बनाने की कला रखते हैं। लेकिन भारतीय टीम में जगह बनाने से पहले उन्होंने आईएएस परीक्षा पास की और वे इंडियन कस्टम्स व सेंट्रल एक्साइज विभाग में इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त हुए।
Today's innings of Ishan Kishan reminded me of another forgotten player of Indian cricket.
Amay Khurasiya , a left handed batsman made his debut against SL in 99 , playing at no. 5 scored 57 runs of 47 balls, with 2 sixes.A 50 on ODI debut. pic.twitter.com/noFQbxWnkZ
— Arnab Bhattacharyya (@TheBongGunner) July 18, 2021
अमय खुरासिया ने भारत के लिए केवल 12 वनडे मैच खेले। इनमें से 10 मैच उन्होंने साल 1999 में खेले। उन्होंने 13.54 की औसत से 149 रन बनाए। खुरासिया ने जब संन्यास लिया तब माना था कि वे इंटरनेशनल लेवल पर कामयाब नहीं हो पाए। साथ ही उन्होंने कहा कि जब अपने चरम पर थे तब उन्हें लगातार मौके भी नहीं मिले। 2007 में उन्होंने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इसके बाद वे कोचिंग और कमेंट्री की फील्ड में उतर गए।
अमय खुरासिया का जन्म 1972 में हुआ था। भारत के पूर्व बल्लेबाज मध्य प्रदेश से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने अपने वनडे डेब्यू से पहले यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। खुरासिया वर्तमान में सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में तैनात हैं। अमय खुरासिया ने बहुत कम उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया और 17 साल की उम्र में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में डेब्यू किया था।
अमय खुरसिया ने टीम इंडिया के लिए अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1999 में पेप्सी कप में श्रीलंका के खिलाफ खेला था। खुरासिया ने अपने डेब्यू मैच में ही सबका ध्यान खींचा क्योंकि उन्होंने केवल 45 गेंदों में 57 रन बनाए। लेकिन खुरासिया अन्य मैचों में अपनी अच्छी फॉर्म को बनाए रखने में विफल रहे और इसके कारण अंततः कुछ वर्षों के बाद उनका अंतरराष्ट्रीय करियर समाप्त हो गया।