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पानी नहीं मिलने पर पीने के लिये बोतल में पेशाब जमा किया, ट्रॉली हिलते ही रूह कांप जाती

Patna : झारखंड के देवघर में परिवार के छह अन्य सदस्यों के साथ ट्रॉली में फंसे सर्वाइवर विनय कुमार दास ने कहा कि जब हम फंस गये थे, तो हमने जीने के लिये क्या-क्या नहीं किया। पानी पीने के लिये एक बोतल में पेशाब इकट‍्ठा किया। अगर हमें कुछ और समय तक पानी नहीं मिलता तो ईश्वर ही जानता है क्या होता।
झारखंड में देवघर रोपवे हादसे के करीब 45 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म हो गया। हालांकि, रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म होने के चंद घंटे पहले मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक महिला गिर गई। रेस्क्यू के दौरान रस्सी टूटने से हादसा हुआ। महिला की मौत हो चुकी है।

मंगलवार को 15 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया। रोपवे हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई। वायु सेना, आईटीबीपी और एनडीआरएफ के साथ गरुड़ कमांडो बचाव अभियान में शामिल थे। सेना के एमआई-17 हेलीकॉप्टर 2000 फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे थे और हवा का दबाव बढ़ने के कारण लोगों को निकालना काफी मुश्किल साबित हो रहा था।
आइए सुनते हैं इस हादसे में जिंदा बच निकले लोगों की दास्तान-
रोपवे ट्रॉली में फंसे बिहार के मधुबनी जिले के एक व्यक्ति ने कहा- जब हम फंस गये तो ऐसा लग रहा था कि हम अपनी जान गंवा देंगे, लेकिन बचाव दल ने हमें बचा लिया। रेस्क्यू के दौरान एक बच्चे ने कहा- अब मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। जब रस्सी खींची गई तो लगा नया जीवन मिल गया।

ट्रॉली में फंसी एक लड़की ने कहा- ट्रॉली हवा में जब भी डोलती तो डर जाती थी। अगर बोगी नहीं हिलती तो डर ​​नहीं होता। हम सब रात भर भूखे रहे, मंगलवार सुबह 11.30 बजे कुछ न कुछ खाया और पानी पिया। लड़की ने आगे कहा- हमें जब नीचे उतारा जा रहा था तो अच्छा लगा, लेकिन जब रस्सी बीच में रुकी तो लगा कि हम गिर जाएंगे।

बता दें कि झारखंड के सबसे ऊंचे रोपवे त्रिकुट, देवघर में रविवार शाम करीब पांच बजे दो केबल कारों के टकरा जाने से 70 लोग फंस गये, जिससे परिचालन पूरी तरह से ठप हो गया। रविवार को रोपवे का संचालन बंद होने से तीन लोगों की मौत हो गई। उनमें पश्चिम बंगाल का एक व्यक्ति भी शामिल था, जो एक हेलीकॉप्टर द्वारा बचाए जाने के दौरान नीचे गिर पड़ा था।

 

ड्रोन से फंसे हुये लोगों को खाना और पानी भेजा जा रहा था। सोमवार की रात को बचाव कार्य रोकना पड़ा।

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