सिलिकॉन वैली ने कहा- US में टिकटॉक बंद करो, फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, इंस्टा भी तो चीन में बैन हैं

New Delhi : भारतीय-अमेरिकी पूंजीपतियों का कहना है कि वैश्विक आईटी हब सिलिकॉन वैली में किसी को भी भारत द्वारा टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने का कोई खेद नहीं है, बल्कि वहां लोग चाहते हैं कि अमेरिका भी चीन की इस लोकप्रिय ऐप के खिलाफ ऐसा ही कदम उठाए। भारत ने टिकटॉक सहित चीन की 59 ऐप पर सोमवार (29 जून) को प्रतिबंध लगा दिया था। भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण सीमा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के बीच यह कदम उठाया गया।

टीईई सिलिकॉन वैली के पूर्व अध्यक्ष वेंकटेश शुक्ला ने कहा – टिकटॉक बेहद जल्दी लोक्रपिय होकर दर्शकों की संख्या, जनसांख्यिकीय जुड़ाव और विज्ञापनों के संदर्भ में ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्रभावी सोशल मीडिया मंचों की सूची में शामिल हो गया। टीआईई उद्यमी नेटवर्किंग का एक गैर-लाभकारी संगठन है।
शुक्ला ने कहा- विज्ञापनों के संबंध में प्रतियोगिता को देखते हुए, सिलिकॉन वैली को टिकटॉक के लिए खेद नहीं है। बल्कि यहां लोगों का मानना है कि अमेरिका को भी इस (टिकटॉक) पर प्रतिबंध लगा देना चाहिये। क्योंकि फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम भी तो चीन में प्रतिबंधित है, तो टिकटॉक यहां क्यों उपलब्ध है।
क्यूबा-अमेरिकी संगीत वीडियो निर्देशक और निर्माता रॉबी स्टारबक ने कहा है – अमेरिका को चीन की सभी वीडियो शेयरिंग ऐप पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। स्टारबक ने कहा- चीन के सभी एप प्रतिबंधित कर दें। ये राष्ट्रीय सुरक्षा को एक ऐसा खतरा है, जिसे हम उठा नहीं सकते। बिजनेस मैगजीन ‘फोर्ब्स’ ने कहा है- इन नए प्रतिबंधों का टिकटॉक के बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। उसने लिखा- पिछले सप्ताह एपल एएपीएल ने टिकटॉक को यूजर्स के ‘क्लिपबोर्ड’ में गुप्त रूप से सेंध लगाते पाया था। हालांकि टिकटॉक ने इसे एक तकनीकी समस्या बताया था, लेकिन इसकी व्यापक स्तर पर आलोचना की गई थी।

अमेरिकी सेना ने पिछले साल दिसम्बर में अपने सैनिकों के टिकटॉक के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी थी। उसने ऐप को सुरक्षा के लिए खतरा बताया था। अमेरिकी नौसेना ने भी इसी तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। फरवरी में टिकटॉक एक मामले के निपटारे के लिए अमेरिकी संघीय व्यापार आयोग को 57 लाख डॉलर देने को भी राजी हुआ था। इसमें टिकटॉक पर 13 साल से कम उम्र के बच्चों से नाम, ईमेल का पता, उनका स्थान आदि जैसी व्यक्तिगत जानकारी अवैध रूप से एकत्रित करने का आरोप था।

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