New Delhi: दुनिया में ऐसा कोई इंसान नहीं जो सौ फीसदी परफेक्ट हो, हर किसी में कुछ ना कुछ कमी होती है। लेकिन अपनी कमियों को लेकर रोने की बजाय आपको उन कमियों को दूर करना चाहिए। अपनी कमजोरी को ताकत बनाकर मिसाल कायम करना चाहिए। अगर आप भी जीवन में कुछ कर दिखाना चाहते हैं तो ये कहानी सिर्फ आपके लिए है।
The opening of ‘SIMPLY UNSTOPPABLE’ was a grand success.
It was awe inspiring to meet and listen to Bhavesh Bhatia- the blind who brightens the world for us all-
71 Factories in 14 States, exporting to 67 countries, the Best Employer of 2016-17 who employs 2300 blind, #IamSME pic.twitter.com/IIsQCWBJVU— Gaurav K Rai (@MSMEGauravRai) February 22, 2018
आमतौर पर कमजोरी को वजह बनाकर अपनी असफलता का लोग रोना रोते हैं, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स की कहानी बता रहे हैं, जो नेत्रहीन होकर भी करोड़ों की कंपनी का मालिक है। उनके खुद के आंखों में रोशनी नहीं है, लेकिन वह लोगों के घरों को रोशन कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं नेत्रहीन भावेश भाटिया की। जिन्होंने ये साबित कर दिखाया कि अगर इंसान सच्चे दिल से मेहनत करने तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है, फिर आपकी कमजोरी भी आपके रास्ते में बाधा नहीं बनती है। भावेश की खास बात ये है कि वह नेत्रहीन होने के साथ-साथ अपनी कंपनी में नेत्रहीन लोगों को नौकरी देने में प्राथमिकता देते हैं। 2000 से अधिक लोगों को वह काम दे चुके हैं।
Mr. Bhavesh Bhatia, a successful #entrepreneur, par excellence, who is giving #Employment to more than 3200 blind people, through his #candlemaking #enterprise, 'Sunrise'. All of us were spellbound listening to the story of this self-made man! ✨#Inspiration #sunrisecandles #DISQ pic.twitter.com/wqZudM7kEO
— Digital Impact Square (@DigitalImpactSq) January 21, 2019
भावेश महाराष्ट्र के लातूर जिले के सांघवी में एक गरीब परिवार में जन्में थे। बचपन में उनकी आंखें सही थी, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़े हुए उनके आंखों की रौशनी कम होते गई। इस वजह से स्कूल और कॉलेज में उन्हें काफी परेशानी उठानी पड़ी। उन्हें किताब तक पढ़ने में दिक्कत होने लगी। और एक वक्त ऐसा आया जब पूरी तरह से उनके आंखों की रौशनी चली गई। उस वक्त उनकी उम्र महज 20 साल ही थी। उन्होंने बताया कि पढ़ाई के दौरान दिखाई नहीं देता था तो मां किताबें पढ़कर मुझे पढ़ाती थी। मां ने मुझे हौसला दिया। मां अकसर कहती थी, तुम नहीं देख सकते तो क्या हुआ बेटा, कुछ ऐसा कर दिखा कि लोग तुम्हें देखें। मां की बातें दिल को छू गई और दिमाग में बैठ गई। मां की बातें सुन मेहनत करने लगे और इच्छाशक्ति को कमजोर होने नहीं दिया।
“My advice to other disabled people would be, concentrate on things your disability doesn’t prevent you from doing well and don’t regret the things it interferes with. Don’t be disabled in spirit as well as physically.” – Stephen Hawking
Let's meet Mr. Bhavesh Bhatia pic.twitter.com/lMo9R6qWg5
— Synconic Consulting (@ConsultSynconic) May 25, 2021
भावेश ने कई तरह के काम में हाथ आजमाया, मेहनत कर कई काम सीखे। उन्होंने फिर मोमबत्ती बनाने का काम सीखा और फिर इसी क्षेत्र में खुद को आगे बढ़ाने का फैसला लिया। शुरुआती दिनों में उन्होंने 5 किलो मोम खरीदकर अपना बिजनेस शुरू किया था। उन्होंने इस बिजनेस के लिए दिन रात मेहनत की। रात में वह मोमबत्ती बनाकर रखते और दिन में एक छोटी सी दुकान में बेच देते थे।
संघर्ष के दौरान उन्हें नीता नाम की महिला मिली। जिन्होंने अफने बिजनेस को लेकर उन्हें भरोसा दिलाया। नीता और भावेश की दोस्ती बढ़ी और दोनों ने शादी कर ली। इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय ब्लाइंड एसोसिएशन की तरफ से 15 हजार का लोन भी मिला। उन्होंने काफी मोम और कुछ रंग खरीदे।
#BhaveshBhatia, CEO #SunriseCandles is Chief Guest for inauguration of #Pragyaa2020.
Dr. Bhavesh Bhatia, visually challenged entrepreneur, founder of Sunrise Candles, Mahabaleshwar, Maharashtra, India – run majorly by visually challenged people. #entrepreneur#inspiration pic.twitter.com/tj7Xi3ErAl
— SGGSIE&T, Nanded (@sggsietnanded) February 25, 2020
घर पर ही छोटा सा कारखाना बनाया। बिजनेस जब चल निकला तो उन्होंने 1996 में सनराइज कैन्डल्स नाम से अपनी कंपनी की शुरूआत की। आज वक्त ऐसा आ गया कि उनकी कंपनी हर दिन 25 टन आकर्षक डिजाइन के साथ मोम की बिक्री करती है। इतना ही नहीं अपनी कंपनी में उन्होंने 350 से ज्यादा नेत्रहीन लोगों को नौकरी दे चुके हैं। कैसे एक नेत्रहीन शख्स ने हिम्मत और हौसले से करोड़ों की कंपनी खड़ी कर ली। हर किसी को इनकी कहानी से प्रेरणा लेनी चाहिए और कुछ कर दिखाना चाहिए।