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सफाई कर्मचारी की बेटी को मिली 1 करोड़ की छात्रवृत्ति, कहा- दलित लड़की होने पर मुझे गर्व है

New Delhi: रोहिणी घावरी इन दिनों खूब चर्चा बटोर रही हैं। एक सरकारी स्कॉलरशिप पर स्विट्जरलैंड में पीएचडी कर रही इंदौर के एक सफाईकर्मी की बेटी ने जिनेवा में मानव अधिकार परिषद (UNHRC) के 52वें सत्र में हाशिये पर रहने वाले लोगों को आगे बढ़ाने के लिए देश की प्रशंसा की है। रोहिणी घावरी (Rohini Ghavri) को भारत सरकार से 1 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति मिली। उन्होंने कहा कि ‘यूएन की बैठक में हिस्सा लेने का उनको एक सुनहरा मौका मिला है।

‘एक दलित लड़की होने के नाते मुझे गर्व है कि मुझे यहां आने का मौका मिला और अपनी बात रखने का मौका मिला। मैंने लोगों को बताया कि पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की तुलना में भारत में दलितों की स्थिति काफी बेहतर है। हमारे भारत में आरक्षण नीति है। मुझे खुद भारत सरकार से 1 करोड़ रुपए की छात्रवृत्ति मिली है। तो मैं खुद एक इसका उदाहरण हूं। एक सफाई कर्मचारी की बेटी होने के नाते हम यहां तक पहुंचे हैं, यह एक बड़ी उपलब्धि है।’ गौरतलब है कि पाकिस्तान लगातार भारत में अल्पसंख्यकों, दलितों और आदिवासियों जैसे हाशिये के समुदायों से जुड़े मुद्दों पर सवाल उठाने की कोशिश करता रहता है।

मैं पिछले 2 साल से जिनेवा में अपनी पीएचडी कर रही हूं। यूएन में भारत का प्रतिनिधित्व करना और भारत में दलितों की हालत के बारे में जागरूकता फैलाना मेरा सपना था। एक दलित लड़की होने के नाते इस तरह की जगह पर पहुंचने का मौका मिलना कठिन होता है।’ भारत के दलितों के मुद्दे को लेकर #UnitedNations में चर्चा हुई॥भारत का संविधान विश्व में सबसे ताक़तवर संविधान है जो हमे उच्च पदो पर बेठने की ताक़त देता है। सफ़ाई कर्मचारियों का दर्द मुझसे बेहतर कौन समझेगा मैंने देखा है अपने लोगो का दर्द। प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी जी से निवेदन करती हूँ की जल्द इनकी समस्याओं का हल निकाला जाये अब और लोग सीवर में ना मरे।

रोहिणी ने कहा कि देश में बड़ा बदलाव हुआ है और आज हमारे देश की राष्ट्रपति एक आदिवासी द्रौपदी मुर्मू और एक ओबीसी नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं। देश की आजादी के 75 साल में दलितों के हालातों में बहुत बदलावों को देखा गया है। रोहिणी ने कहा कि हाशिये के लोगों में से शीर्ष पदों पर पहुंचने वालों की संख्या भले ही बहुत ज्यादा नहीं हो, मगर हमारे देश का संविधान बहुत मजबूत है।