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दोनों पैर काम नहीं करते थे, बैसाखी के सहारे लगाई ऐसी छलांग….विशाल रिटेल बना विशाल मेगा मार्ट

New Delhi: लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। ये लाइन रामचंद्र अग्रवाल पर बिल्कुल फिट बैठती है। आज बिजनेस की दुनिया में ये एक ऐसा नाम है जो किसी पहचान की मोहताज नहीं है। रामचंद्र दिव्यांग होने के बावजूद करोड़ों का मालिक बनकर दम लिए। वह बचपन से ही विकलांग थे, विकलांग होने की वजह से वह बैसाखी के सहारे चलते थे।

उन्होंने एक छोटे व्यवसाय से अपने बिजनेस की शुरुआत की थी। 300 रुपए से शुरुआत और 300 करोड़ की कंपनी बनाना आसान काम नहीं था। इसके लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा। शेयर बाजार में गिरावट के कारण इनकी कंपनी को करोड़ों का नुकसान हुआ, और मजबूरी में इन्होंने अपनी कंपनी बेच दी। लेकिन उन्होंने दोबारा खुद को उठाया और दूसरी कंपनी के साथ एक नई शुरुआत की।

बता दें कि इन्होंने 15 साल तक कोलकाता में कपड़ों का बिजनेस किया। इसके बावजूद उनके मन में कुछ बड़ा करने की चाह थी। इसके बाद वह कपड़े का बिजनेस बंद कर दिल्ली चले गए। साल 2001 में यहां उन्होंने विशाल रिटेल के नाम से एक खुदरा व्यापार शुरु किया। यह बिजनेस धीरे-धीरे तरक्की करने लगा। और देखते ही देखते इतना आगे बढ़ गया कि विशाल रिटेल कब विशाल मेगा मार्ट में बदल गया पता ही नहीं चला। इनकी कंपनी विशाल मेगा मार्ट का नाम शेयर बाजार में भी शामिल हो गया।

अफसोस साल 2008 में एक वक्त ऐसा आया जब शेयर बाजार में भयंकर गिरावट आई। रामचंद्र अग्रवाल की कंपनी विशाल मेगा मार्ट पूरी तरह से डूब गई। पलभर में व्यापार खत्म हो गया। विशाल मेगा मार्ट को 750 करोड़ के घाटे में चली गई। मजबूरी में उन्हें कंपनी को श्रीराम ग्रुप को बेचनी पड़ी। लेकि उन्होंने हार नहीं मानी और हिम्मत दिखाते हुए दोबारा खड़े हुए और खुद को दोबारा उठाया ..इसके साथ ही मार्केट में अपनी एक नई कंपनी खड़ी की…V2

आज के समय में इनकी कंपनी V-2 देश के अलग-अलग और छोटे-छोटे शहरों में भी खुली हुई है। इस तरह एक दिव्यांग व्यक्ति रामचंद्र अग्रवाल जी ने और भी मज़बूत तरीके से ख़ुद को बाज़ार में स्थापित किया। आज इनकी कंपनी V-2 करोड़ों का मुनाफा कमा रही है, जिसे शायद ही कोई नहीं जानता हो।

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