PM ने जिंदगी किसानों के नाम कर दी- भेष बदल हाल लिया आवाम का, इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कराया

New Delhi : चौधरी चरण सिंह भारतीय राजनीति का वो नाम है जो पदों से ज्यादा किसानों और आम लोगों के दिलों में रहा। एक समय में ये नाम किसानों की जुबान पर रहता था। उनके एक इशारे पर किसान अपनी हड़तालें आंदोलन खत्म कर देेते थे। 28 जुलाई, 1979 को चौधरी चरण सिंह समाजवादी पार्टियों और कांग्रेस (यू) के समर्थन से भारत के पांचवें प्रधानमंत्री बने तो सबसे ज्यादा खुशी किसानों को ही थी। लेकिन एक महीने बाद ही उन्हें पद से स्तीफा देना पड़ा। चरण सिंह को भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से बड़ी नफरत थी।

जब देश में औद्योगिक क्रांति नहीं आई थी और किसानी व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया जाता था तब भ्रष्टाचार भी इसी विभाग में सबसे ज्यादा होता था। तमाम सरकारी उपायों के बाद भी किसान इसी कारण बदहाली में थे। इसके खिलाफ चरण सिंह ने सबसे पहले आवाज उठाई। जब वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो वे आए दिन दौरे पर ही रहते। कई बार तो भेष बदलकर अचानक छापा मारते।
चरण सिंह भले ही ऊंचे राजनीतिक पदों पर कम रहे लेकिन जब तक राजनीति में सक्रिय रहे जनता के हितों के लिए काम करते रहे। उन्होंने कभी पद का लालच नहीं किया उनका ध्यान सिर्फ काम करने के ऊपर रहता था। राजनीति में उनकी पकड़ इतनी थी कि उन्हें जो बिल पास कराना होता था वो राजनेताओं से एक बार कहने मात्र से पास हो जाता था। चरण सिंह का जन्म 23 दिसम्बर, 1902 को गाजियाबाद जिले के नूरपुर गांव में एक जाट परिवार मे हुआ था। कुछ कुछ नेहरू जैसे दिखने वाले चरण सिंह, स्वतंत्रता आंदोलन में काफी सक्रिय रहे। स्वतन्त्रता सेनानी से लेकर प्रधानमंत्री तक बने चौधरी चरण सिंह ने ही भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे पहले आवाज बुलन्द की और आह्वान किया कि भ्रष्टाचार का अन्त ही, देश को आगे ले जा सकता है। इसी कड़ी में जनता सरकार के दौरान उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पर शाह कमीशन बैठाया और उन्हें गिरफ्तार कराया। हालांकि एक दिन बाद ही इंदिरा गांधी को जमानत मिल गई। लेकिन जनता सरकार ने इमर्जेंसी का बदला ले लिया।
1952 में डॉक्टर सम्पूर्णानंद के काल में उन्हें राजस्व तथा कृषि विभाग का दायित्व मिला। वह ज़मीन से जुड़े नेता थे और कृषि विभाग उन्हें विशिष्ट रूप से पसंद था। चरण सिंह स्वभाव से भी एक किसान थे। वह किसानों के हितों के लिए अनवरत प्रयास करते रहे। 1960 में चंद्रभानु गुप्ता की सरकार में उन्हें गृह तथा कृषि मंत्रालय दिया गया। वह उत्तर प्रदेश की जनता के मध्य अत्यन्त लोकप्रिय थे। इसीलिए प्रदेश सरकार में योग्यता एवं अनुभव के कारण उन्हें ऊंचा मुक़ाम हासिल हुआ। यही नहीं चौधरी चरण सिंह एक कुशल लेखक भी थे।

उनका अंग्रेजी भाषा पर अच्छा अधिकार था। उन्होंने अबॉलिशन ऑफ़ जमींदारी, लिजेण्ड प्रोपराइटरशिप और इंडियास पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस नामक पुस्तकों का लेखन भी किया। उनमें देश के प्रति वफ़ादारी का भाव था। 29 मई 1987 को 84 वर्ष की उम्र में जनमानस का यह नेता इस दुनिया को छोड़कर चला गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *