गुप्तेश्वर पांडेय भगवान में लीन होकर कथावाचन करते हुये। Image Source : Social Media

पीतांबरी, गेंदे की माला धारण कर कथावाचक बने पूर्व डीजीपी, जुबान पर सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण, ब्रह्म, वैराग्य, मोक्ष

Patna : मीडिया में हमेशा छाये रहनेचाले बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय फिर से सुर्खियों में हैं। बतौर पुलिस निदेशक भाषण देने के लंबे अनुभव के बाद वे राजनीति में अपना किस्मत आजमाने चले गये। पर वहां अभी तक कुछ मिला नहीं। विधानसभा चुनाव में उनको बक्सर से टिकट मिलने की उम्मीद थी लेकिन उनका टिकट हवलदार से ही राजनेता परशुराम चतुर्वेदी ने भाजपा से हासिल कर लिया। और वे तमाम आश्वसनों के बाद भी पैदल हो गये जबकि उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आश्वासन के बाद वीआरएस लिया था। बहरहाल इस पालिटकल हार के बाद गुप्तश्वर पांडेय ने कथावाचक बनने का निर्णय लिया है। कथावाचन में भी भाषण और अपने ज्ञान का बखान करने की अपार संभावनाओं को देखते हुये। उन्होंने पीतांबर धारण करना भी शुरू कर दिया है। और अब राजनीति पर कोई टिप्पणी भी नहीं कर रहे हैं।

पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के अति प्रिय योगीराज महात्मा भरत की तपोस्थली नंदीग्राम भरतकुंड में पहुंचकर पूजा अर्चना की।

 

बहरहाल पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय नये अवतार में फब रहे हैं। पब्लिक को श्रीमद्भागवत कथा सुना रहे हैं। पीतांबर परिधान। गले में सफेद फूलों की मोटी माला। कांधे पर रंगीन पट्‌टा। और जुबान पर सतोगुण, तमोगुण, रजोगुण, ब्रह्म, वैराग्य, मोक्ष जैसी बातें। अपने इस नये अवतार के बारे में पूछने पर कहा- इन सब में रूचि तो पहले से थी ही। लोगों ने आग्रह किया, तो कर रहा हूं। और राजनीति … उन्होंने कहा अभी तो धर्म-कर्म कर रहा हूं।
इनदिनों पांडेय अयोध्या के हनुमान गढ़ी में दिख रहे हैं। उन्होंने बताया- लोकमंगल और अपने लिये ज्ञान, वैराग्य और भक्ति की भीख मांगने के लिये अयोध्या के हनुमान गढ़ी में अपने इष्टदेव श्री हनुमान जी के दरबार में हाजिरी लगाई। मेरे प्रभु सबको सुबुद्धि दो और सबका कल्याण करो।
उनका आठ दिनों का कथावाचन हुआ है। आगे भी यह होना है। कथावाचन करते हुये बोले- किसी के गुण-दोष पर विचार करने से चित्त अशुद्ध हो जाता है। सो, यह काम मत करो। … राम ही धर्म है। कृष्ण ही धर्म है।
बतातें चलें कि गुप्‍तेश्‍वर पांडेय ने 12 साल पहले 2009 में भी राजनीति में एंट्री की कोशिश की थी। तब आइजी रहते हुये उन्होंने वीआरएस लिया था। वे बक्‍सर से लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उस समय भी उन्‍हें टिकट नहीं मिला था। इसके बाद उन्होंने अपना वीआरएस वापस ले लिया था। 2020 के विधानसभा चुनाव में भी उनके जेडीयू या भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बक्सर सीट से चुनाव लड़ने की संभावना थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर पोस्‍ट लिखा – सेवामुक्त होने के बाद सबको उम्मीद थी कि मैं चुनाव लड़ूंगा, लेकिन मैं इस बार विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ रहा। हताश निराश होने की कोई बात नहीं है। धीरज रखें। मेरा जीवन संघर्ष में ही बीता है। मैं जीवन भर जनता की सेवा में रहूंगा। मेरा जीवन बिहार की जनता को समर्पित है। अपनी जन्मभूमि बक्सर की धरती और वहां के सभी जाति, मजहब के बड़े-छोटे, भाई-बहनों, माताओं और नौजवानों को प्रणाम करते हुये लिखा कि उनके चाहने वाले अपना प्यार और आशीर्वाद बनाये रखें।
पर कुछ ही महीनों में उनका राजनीति को लेकर जो धैर्य था वो जवाब दे गया। बक्सर की पब्लिक के बीच ताउम्र रहने की बात करनेवाले पांडेय अयोध्या कथावाचन को चले गये। इसीलिये तो कहते हैं… मन बड़ा वाचाल है, इस पर नियंत्रण ही जीवन को श्रेष्ठ बनायेगा। (Input : Live Bihar)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *