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विदेशी महिला ने डिजाइन किया था परमवीर चक्र,भारत से थीं इतनी प्रभावित कि अपना लिया था हिंदू धर्म

New Delhi: युद्ध में वीरों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र है। आपके जेहन में अक्सर ये सवाल आता होगा कि आखिर इसे डिजाइन किसने किया होगा? इस सम्मान को डिजाइन करने वाला आखिर कौन होगा? तो चलिए आपके सवालों का जवाब देते हैं।

आपको ये जानने में बेहद हैरानी होगी कि वीरता के लिए दिया जाने वाला परमवीर चक्र को एक विदेशी महिला ने डिजाइन किया था। हम बात कर रहे हैं विदेशी महिला ईवा योने लिंडा की। जो रहती तो विदेश में थी, लेकिन प्रभावित भारत से थी। उन्हें बचपन से ही किताबे पढ़ने का शौक था। वह किताबों के बीच ऐसी खोई कि कब उन्हें भारतीय संस्कृति प्रभावित कर गई उन्हें अहसास भी नहीं हुआ। वह भारत से इतना प्रेम करनी लगीं कि उन्हें एक भारतीय सैन्य अधिकारी से प्रेम हो गया और उन्होंने उन्हीं के साथ प्रेम विवाह कर लिया।

वह भारत से इतना प्रेम करती थीं कि इस शादी के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और उनका नाम ईवा योने लिंडा से बदलकर सावित्री बाई खानोलकर कर दिया गया। उन्होंने अशोक चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र को भी डिजाइन किया है। 1947 में जनरल सर्विस मेडल भी डिजाइन किया था हालांकि, यह मेडल 1965 तक ही दिया जाता था।

इसी बीच भारतीय सेना नए पदक को तैयार करने में लगी थीं। ये पदक 1947 के भारत-पाक युद्ध में अदम्य साहस और अभूतपूर्व युद्ध कौशल दिखाने वाले वीरों को सम्मानित करने के लिए तैयार किया जा रहा था। मेजर जनरल हीरा लाल अटल इस मेडल को तैयार करने की जिम्मेमदारी सौंपी गई थी।

अब तक मेजर जनरल अटल ने पदकों के नाम को प्राथमिकता दी थी। इन पदकों को परमवीर चक्र, महावीर चक्र और वीर चक्र के रूप में नामित किया गया था। इसी बीच मेजर जनरल अटल की मुलाकात सावित्री बाई से हुई।

मेजर जनरल अटल ने सावित्री बाई की पेंटिंग देखने के तय किया था कि वह सावित्री बाई से मेडल का डिजाइन तैयार करवाएंगे। वह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिक ज्ञान पर सावित्री बाई की समझ से बहुत प्रभावित थे।

एक दिन उन्होंने यह प्रस्ताव सावित्री बाई के सामने रखा, जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया। कुछ दिनों की मेहनत के बाद सावित्री बाई ने सभी पदों की डिजाइन तैयार कर मेजर जनरल अटल को भेज दी। जो सभी को बेहद पसंद आई। कांस्य धातु से बने इस मेडल में हिन्दी अंग्रेजी भाषा में परमवीर चक्र लिखने के अलावा इसमें राष्ट्रीय चिन्ह और कमल को भी दर्शाया गया।

बता दें कि 1913 में स्विटरजरलैंड में जन्मी इवा को किताबें पढ़ने में काफी दिलचस्पी रखती थी। इसी बीच इवा को भारत की संस्कृति प्रभावित करने लगी। इसके बाद ही इवा ने भारतीय सैन्य अधिकारी विक्रम खानोलकर से शादी की और पूरी तरह से भारतीय संस्कृति के रंग में रंग गई। उनके पहनावे और भाषा से वह भारतीय ही लगने लगी थीं।

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