New Delhi: दुनिया में दुखों को कोई कम नहीं कर सकता है, लेकिन हम जो कुछ अच्छा कर सकते हैं, वह हमें करना चाहिए। ये कहना है कि मध्य प्रदेश के पन्ना के रहने वाले विजय कुमार चंसोरिया का। जिन्होंने मानवता की मिसाल पेश की है। विजय कुमार एक रिटायर स्कूल टीचर हैं। जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद कुछ ऐसा कि लोग आज इनकी मिसाल दे रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी और बच्चों की सहमति से अपने सभी भविष्य निधि और ग्रेच्युटी की राशि गरीब छात्रों के लिए स्कूल को दान कर दिया।
भामाशाह
पन्ना जिले निवासी सहायक शिक्षक श्री विजय कुमार चंसोरिया ने मानवता की मिसाल पेश करते हुए सेवानिवृत्त के बाद असहाय व निर्धन बच्चों को शिक्षा मिल सके इस हेतु अपनी भविष्य निधि ₹40लाख दान देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया इस हेतु विजय जी का अभिनन्दन।
आपके समर्पण को प्रणाम। pic.twitter.com/2vkLGBVpDx— हितानंद Hitanand (@HitanandSharma) February 2, 2022
रिक्शा चलाया औऱ दूध बेचा
विजय कुमार ने अपने बचपन के दिनों में काफी संघर्ष किया ताकि वह पढ़ लिखकर कुछ बन सके। जिसके लिए उन्होंने रिक्शा तक चलाया और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए दूध बेचा। अपनी मेहनत औऱ परिश्रम से वह साल 1983 में शिक्षक बन गए। इन दिनों उन्होंने उन बच्चों को देखा तो अभाव में रहते हैं।
पन्ना के सहायक शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया जी ने अपने रिटायरमेंट के बाद PF की 40 लाख रु गरीब बच्चों के लिए दान कर दी.
उन्होंने खुद दूध बेचकर और रिक्शा चलाकर अपनी पढ़ाई पूरी की थी और शिक्षक बने थे.
शिक्षकों का ऋण चुकाना असंभव है. धन्य है भारतभूमि जहाँ ऐसे शिक्षक जन्म लेते हैं. pic.twitter.com/2ySmfkUlqf
— Dipanshu Kabra (@ipskabra) February 3, 2022
आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनकी पढ़ाई तक छूट जाती है। उन्होंने जब भी बच्चों की मदद की, उनकी खुशी देखी। बस फिर क्या थआ उन्होंने रिटायरमेंट के बाद बच्चों के लिए अपने भविष्य निधि के 40 लाख रुपए दान देने का फैसला किया, जो आज मिसाल बन चुका है।
सलाम है ऐसे दानदाता को जिन्होंने खुद गरीबी से उबर कर गरीबों के शिक्षा के लिए अपने कमाए इतने सारे पैसों को दान किया । गरीब ही गरीबी को समझ सकता है। प्रणाम है ऐसे गुरु को
— Tiku Manhare (@tiku_manhare) February 3, 2022
शिक्षिका की पत्नी हेमलता और बेटी महिमा ने कहा कि पूरे परिवार ने उनके फैसले का समर्थन किया था। विजय कुमार चांसोरिया को खंडिया के एक प्राथमिक विद्यालय में काम के आखिरी दिन उन्हें सम्मानित किया गया था, जहां उन्होंने उनके सहयोगियों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह घोषणा की थी। इनके बारे में जिसने भी पढ़ा उसने कहा- आपके समर्पण को प्रणाम। आज के समय में शिक्षकों को अपना लोन तक चुकाना संभव नहीं होता ऐसे में धन्य है भारतभूमि जहां ऐसे शिक्षक जन्म लेते हैं