New Delhi: कहते हैं प्रतिभा हो तो संघर्ष के रास्ते हर मुश्किल से पार पाया जा सकता है। अगर आपके अंदर हुनर और कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो आप हर मुश्किल को हंसते-हंसते झेल ले जाते हैं।आज हम आपको नेशनल तीरंदाज दीप्ति कुमारी की कहानी बताते हैं, जिन्होंने देश का नाम रोशन तो किया लेकिन आज वह खुद भी दर-दर भटकने को मजबूर है। सोशल मीडिया पर लगातार इनकी तस्वीरें वायरल होती रहती हैं। लोग जानना चाहते हैं कि आखिर 100 से ज्यादा मेडल जीतने वाली, अपनी प्रतिभा से देश का नाम रौशन करने वाली दीप्ति की लाइफ में ऐसा क्या हुआ जो इन्हें मजबूरी में चाय बेचना पड़ा। और सपना एक झटके में बिखर गया।
दीपिका कुमारी एक रिकर्व भारतीय महिला तीरंदाज में लाने वाली दीप्ति कुमारी है जो चाय बेचने पर मजबूर है दीप्ति कुमारी Archery की नेशनल प्लेयर/ UAS रिटर्नभी है 7,लाख देकर धनुष खरीदे थे। कर्ज चुका रहे हैं चाय बेचकर। माननीय मुख्यमंत्री जी कृपया मदद करें @HemantSorenJMM ☎️92049 73404 pic.twitter.com/z8gUXfflgk
— Manish Kumar Chaudhary (@ManishchJMM) January 7, 2023
किसी भी खिलाड़ी का सपना होता है कि वो अपने जेश के लिए खेले और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर अपनी प्रतिभा का परचम लहराए। लेकिन देश के लिए पदक जीतकर लाने का सपना नेशनल आर्चरी प्लेयर दीप्ति के धनुष टूटने के साथ ही खत्म हो गया। गरीबी के आलम में लाखों का धनुष टूटने के बाद वह इस सदमें से उबर नहीं पाई।
दरअसल, दीप्ति नेशनल तीरंदाज है। उनकी मां ने कर्ज लेकर दीप्ति के लिए धनुष खरीदा था। चाय बेचकर दीप्ति वही कर्ज़ चुका रही थी। लेकिन G20 सम्मेलन के लिए म्युनिसिपाल्टी वालों ने दीप्ति का स्टॉल तोड़ दिया। वह गिड़गिड़ाती रही, लेकिन किसी अधिकारी ने उनकी बात नहीं सुनी। दीप्ति ने कहा कि उन्हें अब नए सिरे से जिंदगी गुजारने के लिए शुरुआत करनी पड़ेगी।
इन्हे भी ध्यान में रखिए
नेशनल तीरंदाज दीप्ति कुमारी धनुष का लोन चुकाने के लिए चाय बेच रही है. आंखों में देश के लिए पदक जीतने का सपना है, लेकिन गरीबी उसके सपने की राह का रोड़ा है. उसे मदद की दरकार है, ताकि वो चाय की दुकान से निकलकर खेल के मैदान पहुंच सके. https://t.co/71difTHxLY— ETV Bharat Jharkhand (@ETVBharatJH) January 18, 2023
रांचि म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के लोगों ने दीप्ति का सारा सामना जब्त कर लिया और स्टॉल हटा दिया। दीप्ति ने बताया कि- उनके सामने रोने लगी तब उन्होंने मुझे सारा समान हटाने के लिए दो घंटे का समय दिया। मैंने रांची में कोई और जगह देने की गुज़ारिश की ताकि मैं स्टॉल चला सकूं और कर्ज़ चुका सकूं लेकिन उन्होंने एक न सुनी।जब दीप्ति की कहानी लोगों तक पहुंची तो देश के कोने-कोने से लोग उनकी मदद करने के लिए आगे आए।
बता दें कि दीप्ति राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुकी हैं। विश्व कप खेलने का दीप्ति का सपना टूट गया और वो सड़कों पर चाय बेचकर गुज़ारा करने पर मजबूर हो गई। कर्ज़ लेकर उन्होंने 4.5 लाख का धनुष खरीदा था और कर्ज़ उतारने के लिए उन्हें चाय की दुकान पर बैठना पड़ा। धनुष टूटने की वजह से साल 2013 में विश्व कप के ट्रायल में वो हिस्सा नहीं ले सकीं। दीप्ति के नाम सौ से ज़्यादा मेडल्स और ट्रॉफ़ीज़ हैं।