New Delhi: देश में जहां एक तरफ धर्म के नाम पर लोग नफरत फैलाने में लगे हैं तो वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग ऐसे हैं जो देश में सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल पेश कर उन नफरत फैलाने वालों को करारा जवाब दे रहे हैं। राम नवमी पर मुस्लिम महिलाओं के द्वारा श्री राम की आरती उतारना परंपरा है।
काशी में राम नवमी पर मुस्लिम महिलाओं ने प्रभु श्री राम की आरती उतारकर सांप्रदायिक सौहार्द्र का बड़ा उदाहरण पेश किया है। मुस्लिम महिला फाउंडेशन एवं विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू महिलाओं के साथ मिलकर लमही के सुभाष भवन में विधि विधान के साथ भगवान राम की आरती उतारी।
इतना ही नहीं स्लिम महिलाओं ने उर्दू में लिखा हुआ भजन भी गाया। उर्दू में लिखी आरती का गायन भी किया। मुस्लिम समुदाय की महिलाओं ने फूलों से जय श्री राम भी लिखा। इन्होंने भगवान राम की आरती उतारकर देश को ये संदेश दिया है कि हम सभी पूर्वजों और परंपराओं से एक हैं, और हमें चाह कर भी कोई अलग नहीं कर सकता है।
नाजनीन अंसारी जो मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष है। उन्होंने कहा कि भारतभूमि का जो हिस्सा प्रभु श्री राम से अलग हुआ है वह आज भी नफरत और गरीबी ..हिंसा का दर्द झेल रहा है। पाकिस्तान हो या बांग्लादेश या फिर अफगानिस्तान ये देश आज भी हिंसा की आग में जल रहे हैं। आज के वक्त में अगर ये भगवान राम की अराधना करें उनके रास्ते पर चलें तो शांति और समृद्धि पा सकते हैं। शांति और एकता के लिए रामपंथ ही एकमात्र विकल्प है।