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प्रेम की निशानी ताजमहल नहीं, वो सेतु है जो प्रभु श्री राम ने माँ सीता के लिए बनवाया था: मनोज मंतशिर

New Delhi: मनोज मुंतशिर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में मनोज चीख-चीख कर प्रेम की निशानी का जिक्र कर रहे हैं। वीडियो की शुरूआत खिलजी और अफगानियों से होती है। वह कहते हैं कि खिलजी नहीं आते, शेरशांह सूनी नहीं आते, अकबर नहीं आते तो हम कबीलों में रह रहे होते।

हम पत्ते लपेटकर लपेटकर आग जलाकर नाच रहे होते। वह कहते हैं कि हजारों वर्ष पहले मोहन जोदड़ो हमारे यहां था। अजंता हमारे यहां, एलोरा हमारे यहां, कोणार्क हमारे यहां। और तुमने स्ट्रकचर बनाना हमको सिखाया। तुमने समरकंद और फरगाना में टॉयलेट तक बनवा नहीं पाए और हमारे यहां ताजमहल बनवाने आए थे। और ताजमहल बनवा दिया चलो ठीक है भाई…अब हमें जबरदस्ती बायें हाथ से लिखे हुए इतिहास ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि ये मोहब्बत की निशानी है।

अच्छा ये मोहब्बत की निशानी है। इन शहंशाहों ने इस इमारत को लेकर हमारा मजाक बनाया है। ये मोहब्बत की निशानी है? मनोज मुंतशिर कहते हैं कि अगर ये मोहब्बत की निशानी है तो फिर चित्तौड़ क्या है? जहां हमारी मां रानी पद्ममनी अपने पति राजा रतन सिंह के वियोग में जलती हुई चिता में कूद गई लेकिन अलाउद्दीन खिलजी को अपने आंचल का एक तार छूने नहीं दिया।

प्रेम की निशानी चाहिए, प्रेम की निशानी के बारे में जानना है तो वो पुल देखिए जिसे हमारे भगवान श्री राम ने अपनी प्राण प्रिये सीते को रावण के चंगुल से बचाने के लिए समुंदर के सीने में बांध दिया था। वो है प्रेम की निशानी। बहुत कम लोगों को पता होगा कि 17वीं शताब्दी में जब शाहजहां ताजमहल बनवा रहे थे तब वौ दौर था जब भारत देश में 35 लाख लोग भुखमरी से मर गए थे।  और ये शहंशाह ताजमहल बनवा रहे थे।

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