ममता ने PM मोदी पर किया हमला- टीकाकरण पर देर आये, दुरुस्त आये; लेकिन इस देरी में हजारों लोगों ने जान गंवाये

New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों के लिये मुफ्त कोविड ​​​​-19 टीकाकरण की घोषणा के कुछ घंटों बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पीएम को उनकी याचना सुनने में चार महीने लग गये और देरी से निर्णय लेने की वजह से कई लोगों की जान चली गई। उन्होंने एक ट्वीट में कहा- इस महामारी की शुरुआत से ही भारत के लोगों की भलाई को प्राथमिकता दी जानी चाहिये थी। दुर्भाग्य से, पीएम के इस देरी से लिये गये फैसले से पहले ही कई लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा- इस बार एक बेहतर प्रबंधित टीकाकरण अभियान की उम्मीद है जो लोगों पर केंद्रित हो न कि प्रचार पर।

सोमवार को महत्वपूर्ण घोषणा करते हुये पीएम मोदी ने 1 मई को सरकार द्वारा शुरू की गई विकेंद्रीकृत नीति को खत्म करने की घोषणा की और कहा कि केंद्र सरकार अब निर्माताओं से 75% COVID-19 टीके खरीदेगा और बाद में राज्यों को टीकाकरण के लिये मुफ्त में देगा। शेष 25% टीका सर्विस चार्ज की सीमा के साथ निजी कंपनियों के लिये उपलब्ध होगा। दिलचस्प बात यह है कि ममता बनर्जी ने पहले प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर टीकों की खरीद में तेजी लाने का आग्रह किया था और वैक्सीन निर्माताओं के लिये एक फ्रेंचाइजी-आधारित मॉडल का सुझाव दिया था। राज्य ने एक वैश्विक निविदा जारी करने पर भी विचार किया, लेकिन यह अनुमान लगाया जा सकता है कि टीकों की खरीद के उनके प्रयास सफल नहीं रहे।

राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान, पीएम मोदी ने कोरोनोवायरस टीकों की खरीद और प्रशासन के संबंध में राज्य सरकारों के बदलते रुख पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि कई राज्यों ने केंद्र सरकार को केंद्रीकृत टीकाकरण अभियान को उलटने के लिए मजबूर किया जिस पर सरकार सहमत हो गई। हालांकि, विकेंद्रीकरण प्रक्रिया से जुड़ी जटिलताओं के बारे में जानने के बाद, राज्यों ने केंद्रीकृत व्यवस्था की मांग करना शुरू कर दिया। पीएम बोले- मई के दूसरे सप्ताह तक जब COVID-19 मामले सर्वकालिक उच्च स्तर पर थे और टीकाकरण की मांग बढ़ रही थी कई राज्य सरकारें पीछे हट गईं और यह स्वीकार करना शुरू कर दिया कि पिछली व्यवस्था बेहतर थी। समय के साथ, अधिक राज्य – यहां तक ​​​​कि जो विकेंद्रीकरण प्रक्रिया के पहले पैरोकार थे – इन राज्यों में शामिल हो गये और पूरे मुद्दे पर पुनर्विचार के लिये केंद्र से रिक्वेस्ट किया।

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