New Delhi: ये है भारत की संस्कृति, जहां एक भारतीय खुद की परवाह न कर दूसरो की मदद के लिए खुद को झोंक देता है। चाहे उसके लिए उसे खुद की जान ही क्यों ना गंवानी पड़ जाए। यूक्रेन में अभी भी कई भारतीय फंसे हैं। भारतीय के साथ-साथ कई अलग-अलग देशों के लोग भी अपने देश आने के लिए बेचैन हैं। वहीं, इस बीच एक ऐसी खबर आई है, जिसने हर किसी का दिल जीत लिया है।
#युद्ध_के_बीच_से_भारत_का_लङका_बचा_लाया_पाकिस्तानी_लङकी
भारतीय हरियाणवी लड़के अंकित ने यूक्रेन में फंसी पाकिस्तानी लड़की मारिया को युद्ध बीच 25 किमी पैदल चल बचाया, पाक अफसर बोला- बेटा! आपका शुक्रिया।@narendramodi@AmitShah @Gulab_kataria @ashokgehlot51 @RajCMO @DrKirodilalBJP pic.twitter.com/TZ0Jy2QNAX
— Doonger Singh (@dsrajpurohit291) March 4, 2022
तस्वीर में दिख रहे दो लोगों में एक अंकित है और एक मारिया। मारिया पाकिस्तान से है और अंकित भारत से। अंकित की तारीफ उस वक्त पाक अफसर ने भी की जब अंकित ने यूक्रेन में पाक की बेटी मारिया की जान बचाई। पाकिस्तानी दूतावास ने अंकित की तारीफ तक की। उन्होंने कहा कि- एक भारतीय लड़का अंकित ने हमारी बेटी की जान बचाई और हमारे पास लेकर आया और हमारा बच्चा बन गया। पाक अफसर ने अंकित को शुक्रिया भी कहा। उन्होंने कहा कि- ये वक्त नफरत का नहीं है, किसी की टांग खींचने का नहीं है बल्कि समर्थन करने और प्यार दिखाने का है। हमारे बच्चे नफरत से ज्यादा महत्वूर्ण है।
अंकित कीव पॉलिटेक्निक इंस्टीट्यूट में यूक्रेनी लैग्वेज का स्टूडेंट है। उसने बताया कि ब्लास्ट के बाद 80 स्टूडेंट को बंकर में भेज दिया गया। जहां सभी स्टूडेंट थे, वहां वह अकेला भारतीय था। उनमें से एक थी पाकिस्तानी लड़की मारिया, वो बहुत डरी हुई थी। वहां आसपास कई ब्लास्ट हुए, मारिया के परिवार वाले भी चिंतित थे। हमने वहां से निकलने का विचार किया। मारिया को जब हमारे वहां से निकलने की बात पता चली तो वह भी हमारे साथ आने की गुजारिश करने लगी। फोन पर उसके परिवार से बात हुई, परिवार वालों ने मारिया को साथ लाने के लिए मुझपर भरोसा जताया।
हरियाणा के अंकित की दरियादिली: यूक्रेन में फंसी पाकिस्तानी लड़की को बमबारी के बीच 25 किमी पैदल चलकर बचाया, बॉर्डर पर खुद फंसेhttps://t.co/WRPHVWmh1E#haryana #UkraineRussiaWar #WarUpdatesonBhaskar
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हम दोनों कीव के बुगजाला रेलवे स्टेशन के लिए पैदल निकल गए। हम दो दिन से भूखे थे, कुछ नहीं खाया था। मारिया की हालत बहुत खराब थी, वह चल भी नहीं पा रही थी। मैंने उसका सामान लिया और फायरिंग से बचते-बचाते स्टेशन पहुंचे। स्टेशन में बहुत भीड़ थी। हमारी कई ट्रेनें छूट गई। शाम हो गया हम दोनों किसी तरह ट्रेन के अंदर घुसे। आखिरकार हम गोलियों से बचते हुए टर्नोपिल स्टेशन पहुंचे। जहां मारिया का पाकिस्तानी दूतावास से संपर्क हुआ। हमारे लिए खाने के लिए ब्रेड, सूप, कॉफी की व्यवस्था की गई। वहीं अंकित का कहना है कि वह कई दिनों से भारतीय दूतावास से संपर्क कर रहा है लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा है।