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चपरासी तक की नौकरी देने से कर दिया था मना, 3 बार पास कर दिखाया UPSC एग्जाम.. बन गए IAS अफसर

New Delhi: IAS अफसर बनने वालों की कहानी अलग-अलग होती हैं। हर किसी का संघर्ष अलग होता है। कोई आर्थिक परेशानी से जूझकर सफलता हासिल करता है तो कोई परिवार से लड़कर अपने जज्बे से कुछ कर दिखाया है। हर किसी के संघर्ष का लेवल बिलकुल अलग होता है। किसी ने चाय बेची है तो किसी ने कुली का काम किया है। लेकिन एक ऐसे भी आईएएस अधिकारी हैं जिन्होंने कभी चपरासी की नौकरी मांगी तो उन्हें बीडीओ ने चपरासी तक की नौकरी देने से भी मना कर दिया था।  उन्होंने यह कहकर मना किया था कि तुम चपरासी बनने के भी लायक नहीं हो।

मनीराम राजस्थान के अलवर जिले के बंदनगढ़ी गांव से हैं। मनीराम के गांव में स्कूल नहीं था वे रोजाना 5 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे। मनीराम के दसवीं पास करने के बाद उनके पिता उन्हें लेकर किसी के पास नौकरी मांगने गए। उन्होंने बताया कि ये 10वीं पास है इसे चपरासी की नौकरी दे दीजिए। तो उनसे कहा गया ‘ये सुन नहीं सकता। इनको न घंटी सुनाई देगी न किसी की आवाज। ये कैसे चपरासी बन सकता है?’

मनीराम ने अपने पिता को भरोसा दिलाया, मैं एक दिन बड़ा अफसर बनकर दिखाऊंगा। और उन्होंने अपने पिता को दिया वादा पूरा करके भी दिखाया।  उन्होंने साल 2005 में यूपीएससी की परीक्षा पास की।बहरेपन के कारण उन्हें नौकरी नहीं मिली। 2006 में दोबारा एग्जाम पास किया, तब पोस्ट एंड टेलीग्राफ अकाउंट्स की नौकरी मिली। फिर कान का ऑपरेशन होने के बाद वह सुनने लगे। 2009 में वो फिर यूपीएससी की परीक्षा पासकर IAS बने।