New Delhi: लक्ष्य बड़ा सोचा जाए तो असफलताओं से नहीं घबराना चाहिए। असफलता तो आएंगी ही। लेकिन कुछ लोग असफलताओं से हार मान कर अपने लक्ष्य के साथ समझौता कर लेते हैं या फिर अपने को उसके काबिल समझना ही छोड़ देते हैं। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो असफलताओं को एक नए अवसर और नई सीख की तरह देखते हैं। उनसे सीखकर असफलता को सफलता में बदलते हैं ऐसा ही कर दिखाया है नुपुर गोयल ने। नुपुर ने 2019 की यूपीएससी परीक्षा जिसका रिजल्ट इस साल आया है, को 11वीं रेंक के साथ टॉप किया है। अगर वो इस बार भी असफल हो जातीं तो उनका आईएएस अधिकारी बनने का सपना जिंदगी में कभी पूरा नहीं होता। ये उनका 6ठा और आखिरी प्रयास था। अपने आखिरी प्रयास में उन्होंने अपने सपने को पूरा किया। उन्होंने अंतिम प्रयास तक हार नहीं मानी। आज वो इंटेलिजेंस ब्यूरो में इंटेलिजेंस ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं।
नुपुर दिल्ली के नरेला की रहने वाली हैं। यहीं से उनकी 12वीं तक की पढ़ाई हुई है। 12वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की और इग्नू से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की। ग्रेजुएशन करने के बाद नुपुर ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की और उसके अगले साल ही वो परीक्षा में बैठीं। अपने पहले प्रयास में वो परीक्षा की लास्ट स्टेज यानी इंटरव्यू तक गईं लेकिन अंतिम सूची में उनका नाम नहीं आया। अपनी तैयारी के साथ ही उन्होंने इग्नू से अपना मास्टर्स पूरा किया। जब उन्होंने यूपीएससी का दूसरा अटेम्प्ट दिया तो इस बार वो प्रीलिम्स तक क्लियर नहीं कर पाईं। तीसरे में फिर इंटरव्यू तक पहुंची लेकिन इस बार भी नाम नहीं आया और चौथे में फिर से प्री भी नहीं पास कर पाईं। पांचवे में फिर इंटरव्यू दिया लेकिन फाइनल लिस्ट में नाम नहीं आया।
मंजिल के पास पहुंचकर वो अपनी मंजिल को हासिल नहीं कर पा रही थीं। रिजेक्ट होने के बाद उनके सामने फिर पूरा साल तैयारी के लिए होता था। लेकिन एक के बाद एक हार के बाद जहां अच्छे स्कोलर भी हार मान कर अपनी राह बदल लेते हैं वहीं नुपुर बिना हार माने आखिरी प्रयास तक डटी रहीं। इस दौरान उनके रिश्तेदारों और समाज के लोगों ने तरह-तरह की बातें की लेकिन नुपुर का हौसला नहीं टूटा। 2019 में जब उन्होंने ये परीक्षा दी तो ये उनका आखिरी मौका था। अंततः अपने आखिरी प्रयास में उन्हें सफलता मिली और वे सीधे टॉप टेन की सूची में शामिल हुईं। सफलता के बाद जो नुपुर की काबीलियत पर सवाल उठाते थे नुपुर ने उनकी आंखों में अपने लिए गर्व देखा। इसे वह जिंदगी की सबसे बड़ी पूंजी मानती हैं।
नुपुर का कहना है कि आप इस क्षेत्र में ये तय करके मत आईए कि एक साल में सफलता मिल जाएगी। या इतने समय में नहीं मिली तो तैयारी छोड़ देंगे, बल्कि उनका कहना है कि यहां ये सोचकर आइए कि आपको यहां आना ही क्यों है। इसके लिए आपके पास बेहद मजबूत कारण होना चाहिए। इस कारण के पीछे आप रोज सुबह शाम मेहनत करें तब ये राह आपके लिए आसान हो जाएगी। नूपुर का यह सफर काफी कठिनाइयों से भरा था लेकिन वे यह सोचकर लगी रहीं कि आज नहीं तो कल वे जरूर सफल होंगी क्योंकि इसके पीछे उनके पास कारण था। वो कहती हैं कि कई बार सफलता मिलने में तय समय से ज्यादा समय लग जाता है ऐसे में दिमाग तनाव में जाने लगता है। इससे उबरने के लिए आप ये सोचिए कि इतना समय क्यों लग रहा है। आप कौन सी गलतियां कर रहे हैं जिस वजह से आप सफल नहीं हो पा रहे हैं। उन गलतियों को सुधारिए उनसे सीख लीजिए। आज नुपुर ने असफलता को सफलता में अपने दृढ़ निश्चय के दम पर ही बदला है।