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कुछ कर गुजरने की चाहत में भूखे पेट दौड़ती थी सोनम, मजदूर पिता की बेटी ने रिकॉर्ड तोड़ जीता गोल्ड

New Delhi: हर सफलता के पीछे एक संघर्ष छिपा होता है। ऐसा संघर्ष जिसके बारे में जानकर हर कोई सलाम ठोकने पर मजबूर हो जाता है। सोनम की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिसने अपने दम पर वो मुकाम हासिल किया है, जहां पहुंचना उसका एक सपना था। 18 साल की सोनम ने तो अपनी छोटी आंखों से बड़े सपने देखे ।  उन्हें पूरा करने के लिए कदम भी बढ़ाया।  अपने सपनों को पूरा करने के लिए जीतोड़ मेहनत की और सफल होकर दम लिया।

सोनम अपने गांव के लड़कों को दौड़ते हुए देखती थी, वे सब सेना में जाने की तैयारी के लिए दौड़ लगाते थे। उन्‍हें देख सोनम के मन में भी दौड़ने की इच्छा हुई और उनकी इसी इच्छा ने उनकी दिशाहीन ज़िंदगी को उनका लक्ष्य दिखाया। वह दौड़ में इतना अच्छा करने लगीं कि लोकल टूर्नामेंट उनकी जीत होने लगी। जिसके बदले उन्हें एक से दो हजार रुपये तक मिल जाते थे।

सोनम बुलंदशहर के एक छोटे से गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता वीर सिंह ईंट के भट्ठे पर मजदूरी कर घर चलाते हैं। वहीं, सोनम की मां दूसरों के खेतों में काम करती हैं। ले देकर घर का खर्च चलता है। सोनम ने पिता से कोचिंग दिलाने को कहा पर घर की हालत देख उन्‍होंने मना कर दिया था। इसके बाद कोच संजीव कुमार की नजर सोनम पर पड़ी और वही उसका सहारा बने।  कुछ कर गुजरने की हसरत लिए सोनम ने कई बार भूखे पेट रहकर भी दौड़ लगाई। उन्‍होंने पिछले साल असम में हुई जूनियर चैंपियनशिप में गोल्‍ड मेडल जीता था

18 साल की सोनम ने लड़कियों की 2000 मीटर स्‍टीपलचेज में नेशनल रिकॉर्ड के साथ गोल्ड हासिल किया है। इस स्‍पर्धा में 6:45:71 सेकंड का समय निकाल कर चैंपियन बनी हैं। इस स्पर्धा में गोल्‍डन गर्ल बनी सोनम ने 11 साल पुराना नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया है।  ये रिकॉर्ड 2012 में लखनऊ में हुई यूथ एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप में पारुल चौधरी ने बनाया था। उन्होंने 7:06:49 सेकंड के ये रिकॉर्ड बनाया था।