मां का लाल- पिता बेचते हैं दूध, बेटा 22 साल की उम्र में पहले ही प्रयास में टॉप रेंक के साथ बना IAS

New Delhi : यूपीएससी परीक्षा जहां से सरकारी कर्मचारी के सबसे ऊंचे पद पर काम करने वाले कर्मचारी निकलते हैं जिन्हें आईएएस कहते हैं। हर साल इस परीक्षा में लाखों विद्यार्थी बैठते हैं लेकिन सफलता कुछ गिने चुने छात्रों के हाथ ही लगती है। इस परीक्षा को क्लियर करने के लिए छात्र कई सालों तक तैयारी करते हैं और अमूमन 4 से 5 बार के प्रयास में इसे पास कर पाते हैं। लेकिन आज हम आपको बताएंगे 22 साल के मुकुंद कुमार के बारे में जिन्होंने इतनी कम उम्र में परीक्षा को पहले प्रयास में पास किया है। मुकुंद ने पहली बार 2019 की यूपीएससी परीक्षा दी थी जिसका परिणाम इस साल अगस्त में आया उन्हें ऑलओवर 54वीं रेंक मिली।

कम उम्र, पहला प्रयास और इतनी बढ़िया रेंक के पीछे उनकी मेहनत के साथ-साथ उनकी स्टडी प्लानिंग भी है जिसे आज आपको जानना चाहिए। मुकुंद बिहार के मधुबनी जिला के बाबूबरही प्रखंड के बरुआर के रहने वाले हैं। उनके पिता मनोज ठाकुर सुधा डेयरी का बूथ चलाते हैं जबकि उनकी मां ममता देवी हाउस मेकर हैं। आमदनी इतनी नहीं कि जिंदगी में ऐशो आराम हो। लेकिन उन्होंने बेटे को पढ़ाने में कोई कमी नहीं रखी। जब जैसी जरूरत हुई बेटे को हर सुविधा मुहैया कराई। बेटे की पढ़ाई के लिये जमीन तक बेचना पड़ा। लेकिन आज उनके लाल ने उनका नाम रोशन कर दिया है। उसके यूपीएसएसी में चुने जाने से पूरा इलाका खुशी में झूम रहा है।

आंखों में भर आये आंसूओं को पोछते हुये मां बोली- बेटे ने आज जिंदगी सफल कर दी। कभी सोचा नहीं था कि जीवन में इतनी खुशियां मिलेंगी। बेटे ने नाम रौशन कर दिया है।

शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल में करने के बाद उनकी चयन जवाहर नवोदय विद्यालय, गुवाहाटी में हो गया। 12 वीं तक वे नवोदय असम में ही पढ़े।12वीं में उनके काफी अच्छे अंक आए थे इसलिए वो अपनी ग्रेजुएशन करने दिल्ली आ गए। यहां के पी.जी.डी.ए.वी कॉलेज से उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक किया और फिर यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। हांलाकि परीक्षा तो उन्होंने पहले ही प्रयास में पास कर ली लेकिन इसके लिए वो तैयारी कॉलेज टाइम से ही कर रहे थे। 12वीं में ही उनका लक्ष्य बिल्कुल क्लियर था कि उन्हें सिविल सेवा में ही जाना है। इसके बाद से ही मुकुंद ने अपने सीनियर्स और अपने शिक्षकों से इस परीक्षा के बारे में जानकारी लेनी शुरू कर दी। कॉलेज पूरा होने तक तो मुकुंद को परीक्षा के बारे में ए-टू-जे़ड सारी जानकारी हो गई थी। .यहां तक कि उन्होंने अपनी पढ़ाई के साथ ही परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी।
देश की सबसे कठिन समझी जाने वाली परीक्षा में इतनी कम उम्र में इतनी अच्छी रेंक लाना आसान बात नहीं है, लेकिन मुकुंद की तैयारी और उनकी स्ट्रेटजी के जरिए ये कठिन कार्य आसान हो गया। मुकुंद इस बारे में बताते हैं कि कोई भी यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी ऐसे ही न करे, इसके पीछे उनका एक उचित मकसद हो। जब कोई ये सोच कर तैयारी करता है तो उसकी अहमियत वो गहराई से समझता है। दूसरी बात वो स्ट्रेटजी के बारे में बोलते हैं, जिसमें वो परीक्षा के सिलेबस को समझने पर जोर देते हैं। उनका मानना है कि परीक्षा देने से पहले और उसकी तैयारी शुरू करने से पहले विद्यार्थी को सिलेबस की जानकारी बेहद अच्छे ढंग से होनी चाहिए। ज्यादातर देखने में आता है कि छात्र 4 से 5 बार परीक्षा दे चुके होते हैं और उन्हें परीक्षा का पूरा सिलेबस तक पता नहीं होता।

वो कहते हैं कि पढ़ने से पहले विद्यार्थी को अच्छे से पहले सिलेबस को पढ़ लेना चाहिए। सिलेबस को पढ़ने के बाद उसे पिछली परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों को भी देख देख लेना चाहिए। इससे ये अंदाजा शुरूआत में ही विद्यार्थी लगा पाता है कि ये परीक्षा उसके इंटरेस्ट की है या नहीं। जिस तरह के प्रश्न परीक्षा में आते हैं क्या उनके जवाब जानने और खोजने में उसकी रुचि है या नहीं। इसके बाद उनकी सलाह है कि हर विद्यार्थी को जो सामान्य विषय होते हैं जो प्री और मेंन्स में सबसे पूछे जाते हैं उनका अध्ययन अच्छे से कर लेना चाहिए क्योंकि अगर विद्यार्थी प्री और मेन्स ही पास नहीं कर पाएगा तो अंतिम चरण तक कैसे पहुंचेगा।

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