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हीरा कारोबारी की 9 साल की बेटी बनी संन्यासी, करोड़पति बेटी ने त्याग दिया आलीशान जिंदगी का सुख

New Delhi:गुजरात के एक धनी हीरा व्यापारी की 9 साल की बेटी ने संन्यासी बनने के लिए आलीशान जिंदगी को त्याग दिया है। हजारों लोगों की मौजूदगी में उन्होंने दीक्षा ली। देवांशी जैनाचार्य कीर्तियशसूरीश्वर महाराज से दीक्षा ले रही हैं। देवांशी दो बहनों में बड़ी है। खेलने-कूदने की उम्र में देवांशी जैन धर्म ग्रहण कर संन्यासिनी बन चुकी है।

सूरत के हीरा व्यापारी संघवी मोहन भाई की पोती और धनेश-अमी बेन की 9 साल की बेटी देवांशी ने संन्यास ले लिया। देवांशी का दीक्षा महोत्सव वेसू में 14 जनवरी को शुरू हुआ था। देवांशी के परिवार के ही स्व. ताराचंद का भी धर्म के क्षेत्र में एक विशेष स्थान था। उन्होंने श्री सम्मेदशिखर का भव्य संघ निकाला और आबू की पहाडिय़ों के नीचे संघवी भेरूतारक तीर्थ का निर्माण करवाया था।

देवांशी को वैराग्य शतक और तत्वार्थ के अध्याय जैसे महाग्रंथ कंठस्थ हैं। वह 5 भाषाओं की जानकार है। वह संगीत, स्केटिंग, मेंटल मैथ्स और भरतनाट्यम में एक्सपर्ट है।देवांशी ने 8 साल की उम्र तक 357 दीक्षा दर्शन, 500 किमी पैदल विहार, तीर्थों की यात्रा व कई जैन ग्रन्थों का वाचन कर तत्व ज्ञान को समझा। देवांशी के माता-पिता अमी बेन धनेश भाई संघवी ने बताया कि उनकी बेटी ने कभी टीवी देखा नहीं, जैन धर्म में प्रतिबंधित चीजों को कभी इस्तेमाल नहीं किया। न ही कभी भी अक्षर लिखे हुए कपड़े पहने। देवांशी ने न केवल धार्मिक शिक्षा में, बल्कि क्विज में गोल्ड मेडल अर्जित किया। भरतनाट्यम, योगा में भी उसे महारत हासिल है।

4 महीने की थी तब से रात्रि भोजन का त्याग कर दिया था। 8 महीने की थी तो रोज त्रिकाल पूजन की शुरुआत की। 1 साल की हुई तब से रोजाना नवकार मंत्र का जाप किया। 2 साल 1 माह से गुरुओं से धार्मिक शिक्षा लेनी शुरू की और 4 साल 3 माह की उम्र से गुरुओं के साथ रहना शुरू कर दिया था।