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सत्यप्रकाश से बने राजू पर पहचान मिली गजोधर भैया से… सादगी देहाती रही, अपनी जमीन कभी नहीं भूले

New Delhi: कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव कलाकार के अलावा इंसान भी लाजवाब थे। सादगी हमेशा देहाती रही, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती थी। वह बेशक, मुंबई में रहते थे, लेकिन कानपुर की ठेठ उनमें हमेशा रहती थी। प्रसिद्धि खूब कमाई, पर अपनी जमीर कभी नहीं भूले। पूरा हिंदुस्तान उन्हें याद कर रहा है। वह उत्तर प्रदेश फिल्म परिषद के चेयरमैन भी थे। वे 1993 से हास्य की दुनिया में काम कर रहे थे। उनको असली सफलता ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंज से मिली। हास्य का ये नगीना हम सभी को छोड़कर अपनी दूसरी दुनिया में चला गया। लेकिन उनका शरीर ही हमसे दूर हुआ है, उनका अहसास हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेगा।

राजू श्रीवास्तव ने भले ही अपनी शुरुआत बड़े परदे से की थी लेकिन उनके करियर के लिए अहम मोड़ छोटा परदा साबित हुआ। राजू श्रीवास्तव को लोकप्रियता द ग्रेट इंडियन लाफ्टर चैलेंस शो से मिली। इस शो के जरिए राजू ने गजोधर भैया बनकर लाखों करोड़ों फैंस का दिल जीत लिया। उन्होंने फिल्मों में छोटे-छोटे रोल करके करियर की शुरुआत की थी। अभिनेता अमिताभ बच्चन ने भी उन्हें प्रोत्साहित किया। बच्चन की मैं आजाद हूं और लाल बादशाह में उन्हें मौका मिला। फिर उन्होंने फिल्म मैंने प्यार किया और बाजीगर में भी छोटी-छोटी भूमिकाएं की।

जिंदगी में ऐसा काम करो कि यमराज भी आए तो कहे कि भैसे पर आप बैठिए, मैं पैदल चलूंगा…आप नेक आदमी हैं। राजू श्रीवास्तव का यह डायलॉग उनकी शख्तियत को सबसे अच्छे से बयां करती हैं। मनोरंजन को नया आयाम देने वाले राजू में आम आदमी की झलक थी, तभी वो हर वर्ग और उम्र में लोकप्रिय थे। लेकिन अंतत: वह जिंदगी की जंग हार गए। बीते लगभग डेढ़ महीने से वेंटिलेटर पर रहे पर हिम्मत हार गए। वे 58 वर्ष के थे। पिछले महीने 10 अगस्त को जिम में उनकी तबीयत बिगड़ी थी। इसके बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती करवाया गया। करीब 42 दिन तक वह जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई किए, लेकिन वह हार गए और सबको हंसाने वाला रुलाकर चला गया।

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