New Delhi: झारखंड के गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली अनीता कुमारी का सेलेक्शन अंडर 17 वीमेंस वर्ल्ड कप इंडिया कैंप के लिए हुआ है। लेकिन अनीता का यहां तक पहुंचना आसान नहीं था। फुटबॉल में अपना करियर बनाने वाली अनीता कुमारी को इस खेल के लिए ताने मारे जाते थे, लेकिन उन्होंने खुद पर भरोसा किया और आखिरकार वो मुकाम हासिल कर अपना सपना पूरा किया।
Under 17 women world cup fifa football player Anita Kumari. This struggle is really real! Salute to her and many such enormous talents who are braving the hardship! Salute! pic.twitter.com/X8STd8cKKs
— Mimpi🍁 (@mimpful) April 29, 2022
अनीता कुमारी झारखंड के रांची में चारी-होचर गांव की एक प्रतिभाशाली फुटबॉल खिलाड़ी हैं। अनीता एक गरीब परिवार की बेटी है। उनके माता-पिता मजदूर हैं, मुश्किल से दो वक्त की रोटी का गुजारा हो पाता है। अनीता का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह केवल माड़-भात खाकर पेट भरती दिखाई दे रही हैं। उनकी बहन का कहना है कि हम माड़ भात ही खाते हैं।
Jharkhand | Anita Kumari, from Chari village in Ranchi dist, makes it to list of 33 for national coaching camp at Jamshedpur for upcoming FIFA U-17 World Cup team. Visuals from her residence
Her sister, Vinita says, "I'm proud. She faced many hardships. We had just 'maand bhaat' pic.twitter.com/leTXvPB5WR
— ANI (@ANI) May 4, 2022
पांच बहनों में चौथी संतान अनीता ने न केवल गरीबी का सामना किया है बल्कि सुविधाओं और खेल उपकरणों की कमी से भी जूझ रही है। परिवार को उम्मीद है कि बेटी अनीता की सफलता से परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। इस बीच, उनके कोच आनंद प्रसाद गोप ने कहा कि “अनीता एक समर्पित एथलीट हैं।” वह अपनी लगन और मेहनत से इस मुकाम तक पहुंची हैं।
Filled with admiration for Anita Kumari and six other girls who are going to play at the Under 17 FIFA World Cup. Anita's mother is a construction labourer. pic.twitter.com/3bI2RS0rpi
— minakshi thakur (@minthakur) April 29, 2022
अनीता की यात्रा न केवल आर्थिक कठिनाइयों से भरी थी, बल्कि सामाजिक कठिनाई का भी सामना करना पड़ा। गांव वाले उसके इस खेल के खिलाफ थे। गांव वाले इस बात से हैरान थे कि अनीता ने इतने साल शॉर्ट्स क्यों पहनी और फुटबॉल क्यों खेली। उन्होंने उसे खेलने से रोकने के लिए जमीन पर कांच के टुकड़े बिखेर दिया करते थे। लेकिन इन सारी कठिनाईयों को पार करते हुए अनीता ने अपने माता-पिता का नाम रौशन किया।