image source- Tweeted by ANI

1984 में ऑपरेशन मेघदूत में शहीद हुए थे जवान चंद्र शेखर, 38 साल बाद परिवार को मिला पार्थिव शरीर

New Delhi: परिवार का लंबा इंतजार आखिरकार खत्म हुआ। 1984 में ऑपरेशन मेघदूत में तैनाती के दौरान वीरगति को प्राप्त जवान चंद्र शेखर के पार्थिव शरीर को हलद्वानी में उनके घर ले जाया गया। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उनको श्रद्धांजलि अर्पित की। सैन्य सम्मान के साथ उनके परिवारजनों को उनका पार्थिव शरीर सौंपा गया।

उत्तराखंड CM पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि- हम उनकी शहादत को प्रणाम और नमन करते हैं। हमें गर्व है कि हम उत्तराखंड के वासी हैं जहां के वीर सैनिकों ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया है। चंद्र शेखर आज से लगभग 38 साल पहले लापता हो गए थे। हम उनके परिवार के सदस्यों के साथ हैं।

बता दें कि उत्तराखंड के हल्द्वानी के लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला के शव की पहचान दोनों बाहों पर लगने वाले बैच से हुई। उस बैच पर आर्मी नंबर लिखा है जिसका दस्तावेजी मिलान करने पर पुष्टि हो गई कि आर्मी की पेट्रोलिंग टीम को मिला अवशेष चंद्रशेखर के शव का ही है।

चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजिमेंट के सैनिक थे। वो 1975 में सेना में भर्ती हुए थे। वर्ष 1984 में भारत और पाकिस्तान के बीच सियाचिन का युद्ध हुआ था। तब भारत ने पाकिस्तान के दांत खट्टे करने के लिए ऑपरेशन मेघदूत लॉन्च किया था। उसी ऑपरेशन के तहत 20 सैनिकों की एक टुकड़ी को मई 1984 में सियाचिन की ऊंची पहाड़ियों की पेट्रोलिंग पर भेजा गया था। चंद्रशेखर भी उसी पेट्रोलिंग टीम का हिस्सा थे। 29 मई को ग्लेशियर टूटने के कारण चंद्रशेखर तूफान की चपेट में आ गए थे।

29 मई 1984 को चंद्रशेखर बर्फीले तूफान में फंस गए। उसके बाद उनका कोई अता-पता नहीं चला। अब 38 वर्ष बाद उनके शव के अवशेष मिले हैं। यह अवशेष उनके परिवार को सौंपा गया। उनका परिवार उत्तराखंड के हल्द्वानी में 38 वर्षों से इसका इंतजार कर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *