NEW DELHI: एक असाधारण नेता और एक सच्चे देशभक्त, आज़ाद ने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिये पूरे समाज को प्रभावित और प्रेरित किया। आज भी युवाओं के हीरो हैं। मातृभूमि के लिये उनके सर्वोच्च बलिदान को हमेशा याद किया जायेगा। 23 जुलाई, 1906 को भावरा, झाबुआ, मध्य प्रदेश में जन्मे आजाद ने 27 फरवरी 1931 में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में एक सहयोगी के धोखे के बाद जान देनी पड़ी। जब चंद्रशेखर तिवारी को पहली बार पुलिस ने गिरफ्तार किया, तो उसने अपना नाम आज़ाद, अपने पिता का नाम स्वतंत्रता और जेल को अपना घर बताया। आजाद ने अपना नाम ही बदल दिया और कहा- मैं आजाद ही पैदा हुआ, आजाद ही रहूंगा और आजाद ही मरूंगा। उन्होंने अपने अंतिम सांस तक इसको कायम किया।
don't see others doing better than you, beat your own records everyday because success is a fight between you and yourself : Azad
tribute to chandra shekhar azad on his jayanti.#ChandrashekharAzadJayanti #Inspiration #motivation #ChandraSekharAzad pic.twitter.com/BSecI9zXBj— career comics (@career_comics) July 23, 2021
Remembering the valiant son of Bharat Mata, the remarkable Chandra Shekhar Azad on his Jayanti. During the prime of his youth he immersed himself in freeing India from the clutches of imperialism. He was also a futuristic thinker, and dreamt of a strong and just India.
— Narendra Modi (@narendramodi) July 23, 2021
My humble tributes to the revolutionary freedom fighter #ChandraShekharAzad on his birth anniversary. His courage, valour and undaunting spirit remains an inspiration for generations to come.
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 23, 2021
Pistol of Chandra Shekhar Azad
(Photo – Allahabad Museum ) pic.twitter.com/18r0fCugEp
— indianhistorypics (@IndiaHistorypic) July 23, 2021
Humble tributes to Freedom fighters Lokmanya #BalGangadharTilak and #ChandraSekharAzad on their Birth Anniversaries.
Their ideals, courage & moral strength during struggle for independence are an inspiration for generations to come.#ChandrashekharAzadJayanti #balgangadhartilak pic.twitter.com/gr74JXGiNn— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) July 23, 2021
आइये आपको बताते हैं देश के सबसे बड़े स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद के बारे में 10 महत्वपूर्ण तथ्य जो आपको जानना ही चाहिये।
1. चंद्रशेखर आजाद का जन्म चंद्रशेखर तिवारी के रूप में 23 जुलाई, 1906 को मध्य प्रदेश के वर्तमान अलीराजपुर जिले के भावरा गांव में पंडित सीताराम तिवारी और जागरानी देवी के परिवार में हुआ था।
2. वह 1921 में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुये जब वह सिर्फ एक स्कूली छात्र थे। आजाद ने देश के लिये किये गये बलिदानों, स्वतंत्रता संग्राम और अन्य सामाजिक सौहार्द में उनके विशाल योगदान के माध्यम से भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित किया।
3. उन्हें संस्कृत का विद्वान बनाने के लिये आज़ाद की माँ ने उनके पिता को अपने बेटे को वाराणसी के काशी विद्यापीठ भेजने के लिये कहा।
4. दिसंबर 1921 में, महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया। आजाद ने आंदोलन में भाग लिया और उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार कर लिया। जब आजाद को एक जज के सामने पेश किया गया, तो उन्होंने अपना नाम “आजाद” और अपने पिता का नाम “स्वतंत्रता” बताया। जब उनसे पूछा गया, तुम्हारा घर कहां है, उन्होंने गर्व से कहा- जेल।
5. आजाद बाद में 1922 में असहयोग आंदोलन के निलंबन के बाद और अधिक आक्रामक हो गये। बाद में वे रामप्रसाद बिस्मिल द्वारा गठित एक क्रांतिकारी संगठन हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचआरए) में शामिल हो गये।
6. वह 1925 में काकोरी रेल डकैती, 1928 में सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन पोयंत्ज़ सॉन्डर्स की हत्या के लिये पूरे देश में प्रसिद्ध हो गये।
7. एक क्रांतिकारी के रूप में उन्होंने अंतिम नाम आजाद अपनाया, जिसका अर्थ उर्दू में “मुक्त” होता है। जब उन्होंने यह नाम अपनाया, तो उन्होंने दोस्तों के सामने कसम खाई कि पुलिस उन्हें कभी भी जिंदा नहीं पकड़ पायेगी।
8. आजाद ने यह महसूस नहीं किया कि संघर्ष में हिंसा अस्वीकार्य थी, खासकर 1919 के जलियावाला बाग नरसंहार को देखते हुये, जहां अंग्रेजों ने सैकड़ों निहत्थे नागरिकों को मार डाला और हजारों को घायल कर दिया। युवा आजाद इस त्रासदी से गहराई से और भावनात्मक रूप से प्रभावित थे।
9. 23 फरवरी, 1931 को पुलिस ने आजाद को घेर लिया और उनकी दाहिनी जांघ पर चोट लगी जिससे उनका बचना मुश्किल हो गया। अपनी पिस्तौल में एक गोली और पुलिस से घिरे रहने के कारण, उन्होंने कभी भी जीवित न पकड़े जाने की प्रतिज्ञा का पालन करते हुये खुद को गोली मार ली।
I visited many times to azad park. I feel very proud to see this. I heartily salute to such a patriotic soldier. He is real hero of our country. Again in this country we have need of such a patriotic personality to fight against black angrej of India.#ChandraSekharAzad pic.twitter.com/04qfgm0kkN
— Mayank pandey (@mayankpandey002) July 23, 2021
I consider him a LEGEND among all the freedom fighters we had.children should learn stories like these in their schools.remembering #ChandraSekharAzad on his jayanthi. Naman to his great soul.🙏 bookmark this thread & share as much as possible. https://t.co/FuNjk3GH6U
— Kiran (@tweetsbyhk) July 23, 2021
मलते रह गए हाथ शिकारी,
उड़ गया पंछी तोड़ पिटारी।
अंतिम गोली ख़ुद को मारी,
जियो तिवारी जनेऊधारी।।#चंद्रशेखर_आज़ाद #जयंति #ChandrashekharAzad#जियो_तिवारी_जनेऊधारी@manojmuntashir pic.twitter.com/rMK4mOOhFJ— Parashuram Seva Dal (@DalParshuram) July 23, 2021
10. वह प्यार से एक हिंदुस्तानी दोहे का पाठ करते थे, उनकी एकमात्र काव्य रचना : ‘दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे। आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे।’