New Delhi : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को दिल्ली के बाहर किसानों की घेराबंदी का जिक्र करते हुये इसके लिये विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया और कहा किसानों को गुमराह किया गया है। उन्होंने कहा- आज जो लोग विपक्ष में बैठे हैं और किसानों को गुमराह कर रहे हैं, वे अपनी सरकार के दौरान इन कृषि सुधारों के पक्ष में थे। वे अपनी सरकार के दौरान निर्णय नहीं ले सके। आज जब राष्ट्र ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है तो ये लोग किसानों को गुमराह कर रहे हैं।
मैं किसान भाई-बहनों से फिर कह रहा हूं कि उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है।
किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की प्राथमिकता रहा है।
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— BJP (@BJP4India) December 15, 2020
दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की साजिश चल रही है।
देश में डेयरी उद्योग का योगदान कृषि अर्थव्यवस्था के कुल मूल्य में 25% से ज्यादा है। पशुपालकों को पूरी आजादी मिली है।
ऐसी आजादी अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए?
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पीएम मोदी ने गुजरात के कच्छ में दूध प्रसंस्करण और पैकेजिंग संयंत्र की आधारशिला रखने के बाद जनता को संबोधित करते हुये कहा- देश पूछ रहा है कि अनाज और दालों का उत्पादन करने वाले छोटे किसानों को फसल बेचने की स्वतंत्रता क्यों नहीं मिलनी चाहिये? कृषि सुधारों की मांग वर्षों से थी। कई किसान संगठनों ने भी पूर्व में यह मांग की कि उन्हें कहीं भी खाद्यान्न बेचने का विकल्प दिया जाना चाहिये। आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, उन्होंने अपने समय में इन सुधारों का समर्थन किया है। वे सिर्फ किसानों को झूठा दिलासा देते रहे। जब देश ने ये कदम उठाये हैं, तो वे अब किसानों को भ्रमित कर रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि किसानों को भ्रमित करने की साजिश चल रही है। वे डर रहे हैं कि नए कृषि सुधारों के बाद, अन्य किसानों की भूमि पर कब्जा कर लेंगे। आप मुझे बताएं, यदि कोई डेयरी आपसे दूध लेने का ठेका लेती है, तो क्या वह आपके जानवर को ले जाता है? मैं फिर से किसान भाइयों और बहनों को बता रहा हूं कि सरकार उनके हर संदेह को हल करने के लिये 24 घंटे तैयार है। किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की प्राथमिकता रही है।
बता दें कि पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान तीन खेत कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी में और आसपास विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। नये कानूनों को लेकर किसानों की आशंका है कि इससे उनकी कमाई कम होगी और निजी कारपोरेट्स को बड़ा नियंत्रण मिलेगा। विरोध प्रदर्शन 20 वें दिन में प्रवेश कर गया है लेकिन किसान यूनियनों और सरकार के बीच गतिरोध के समाधान के कोई संकेत नहीं मिले हैं।
अब तक, सरकार का पक्ष – कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने रखा। सोम प्रकाश बिना किसी संकल्प के 40 किसान यूनियनों के साथ पांच दौर की बातचीत में लगे हुये हैं।
किसानों को भ्रमित करने की साजिश चल रही है।
उन्हें डराया जा रहा है कि नए कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर दूसरे कब्जा कर लेंगे।
आप बताइए, कोई डेयरी वाला आपसे दूध लेने का कॉन्ट्रेक्ट करता है तो वो आपके पशु ले जाता है क्या?
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उल्लेखनीय है कि सितंबर में लागू, तीन कृषि कानूनों को केंद्र द्वारा कृषि क्षेत्र में बड़े सुधारों के रूप में पेश किया गया है, जो बिचौलियों को दूर करेगा और किसानों को देश में कहीं भी बेचने की अनुमति देगा। हालाँकि, दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे कई हजारों किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के कुशन को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त करेगा और मंडियों के साथ बड़े कारपोरेटों की दया पर छोड़ कर चले जाएंगे।