New Delhi : आप हम छोटी-मोटी असफलताओं से ही हार मानकर अपने लक्ष्य को छोड़ देते हैं या फिर समझौता कर लेते हैं तो आपको आईएएस अधिकारी नमिता शर्मा की सफलता के बारे में जरूर जानना चाहिए। नमिता ने यूपीएससी परीक्षा अपने आखिरी प्रयास में पास की और वो आज आईएएस ऑफिसर हैं। यूपीएससी परीक्षा जिसे लोग काफी खर्चे और तैयारी के साथ देते हैं लेकिन इसके बाद भी अगर कुछ परिणाम न निकले तो छात्र का निराश होना स्वभाविक ही होता है। लेकिन अपनी निराशा को अपने लक्ष्य पर जो लोग हावी नहीं होने देते सफलता उन्हें ही मिलती है।
Analog IAS 2018 Student Namita Sharma Got AIR 145 – Mock Interview at our ANALOG Premises – ANALOG IAS ACADEMY
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Toppers’Talk | Hyderabad | Ms. Namita Sharma (Rank 145, UPSC 2018)
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ऐसी ही कहानी है नमिता शर्मा की जिन्होंने यूपीएससी में लगातार पांच बार फेल होने के बाद भी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य को पाने में आखिरी प्रयास तक लगी रहीं। मीडिया को दिए इंटरव्यूज में उन्होंने अपनी सक्सेस स्ट्रेटजी भी शेयर की है।
नमिता दिल्ली की रहने वाली हैं। उनकी पूरी पढ़ाई भी दिल्ली में ही हुई है। 21वीं के बाद उन्होंने इंद्रप्रस्थ युनिवर्सिटी से इलैक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन्स में ग्रेजुएशन किया। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने 2 साल एक कंपनी में सोफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर काम किया। जॉब करते हुए उन्हें अपने जीवन से कुछ और भी अपेक्षाएं होने लगी थीं। वो सारा जीवन ऐसे ही ज़ॉब करते हुए नहीं निकालना चाहती थीं। इसलिए उन्होंने मन बनाया कि वो यूपीएससी परीक्षा में बैठेंगी। उनका अब ये सपना बन गया था। उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। इसके साथ ही वो दूसरी सरकारी नौकरियों के भी फॉर्म भरती रहती थीं। यूपीएससी की तैयारी के साथ ही उन्होंने SSC-CGL निकाल लिया था। इसे उन्होंने जॉइन भी कर लिया। लेकिन यूपीएससी उनके दिमाग से उतरा नहीं था।
उन्होंने अपना ये जॉब करते हुए ही तैयारी शुरू कर दी। अब उनके पास एक सरकारी नौकरी थी जिसके चलते आर्थिक परेशानी जैसी कोई बात नहीं रही। लेकिन उन्हें अपने सपने को पूरा करना था। इसलिए उन्होंने नौकरी करते हुए ही 2 प्रयास और दिए। नमिता ने पहले दो अटैम्प्ट बिना तैयारी और बिना कोई मोटिव के ही दे दिए थे। इसके बाद से उन्होंने ठीक तरह से तैयारी शुरू की थी। लेकिन इसके बाद भी लगातार असफलता ही मिल रही थी। 2017 में उनका प्रीलिम्स और मैन्स दोनों ही क्लियर हुए लेकिन इंटरव्यू देने के बाद जब सूची में नाम नहीं आया तो वो हार गईं अब उन्होंने तैयारी छोड़ देने का फैसला किया। इस निराशा से उन्हें उनके पिता और उनकी मां ने निकाला और कहा कि अब एक प्रयास और बचा है तो इसके बाद तो तुम खुद ही परीक्षा में नहीं बैठ पाओगी तो उन्होंने इस बार भी फॉर्म भर दिया और इस बार वो सफल रहीं।
साल 2018 में आखिरी अटेम्प्ट में चयन होने पर उन्होंने चैन की सांस ली। नमिता बताती हैं कि इस परीक्षा का सिलेबस केवल पढ़ लेना ही काफी नहीं होता रिवीजन बहुत जरूरी होता है। बिना रिवाइज करे आपकी सारी तैयारी बेकार है। इसके साथ ही लिखने की खूब प्रैक्टिस करें। जितना ज्यादा लिखेंगे उतना इस बात के लिये श्योर हो पायेंगे कि मेन्स में कुछ छूट नहीं रहा।
नमिता कहती हैं आप चाहें कितनी ही बार असफल हो जाएँ लेकिन मन से खुद को कभी असफल न माने उसे एक मौके की तरह देखें और अपनी कमियों को सुधारें। वो कहती हैं कि ऐसे लोगों की बिलकुल न सुनें जो आपको डिमोटिवेट करते हों। उन्होंने खुद अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों की डिप्रेसिव बातों से बचने के लिये घर के बजाय मुंबई के हॉस्टल में रहकर तैयारी करना उचित समझा।